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'''تم الإنشاء'''
{{جعبه اطلاعات بنای مذهبی
{{صندوق معلومات بناية
| عنوان            =
| اسم الصفحة = جبل أبي قبيس
| تصویر            =شاذروان.jpeg
| الصورة = کوه ابوقبیس.jpg
| اندازه تصویر    =
| توضیح الصورة =  
| توضیح تصویر      =
| الأسامي الأخری =
| بنیانگذار        = [[عبدالله بن زبیر]] یا [[قبیله خزاعه|خزاعیان]]
| المکان = الجبل المقدّس
| تأسیس            =
| الإستعمال =
| کاربری          = تعیین محل پِی‌های [[کعبه]] در دوران [[حضرت ابراهیم(ع)|ابراهیم(ع)]]، محافظت کعبه از سیل
| المکرمة عند =
| مکان            = [[مکه]]، [[مسجد الحرام]]
| المرتبطة مع دین/مذهب = الإسلام
| نام‌های دیگر      =تأزیر
| المعتقدات =
| وقایع مرتبط      =
| المناسك =
| تخریب            =
| الأحکام =
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| المعمر =
| بازسازی          =اواخر قرن سوم قمری، دهه اول از سال ۶۷۰ق، ۱۰۹۸ق، ۱۴۱۷ق، ۱۳۹۴ش
| الأجزاء المتحطمة =
| وبگاه            =  
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}}
}}
'''جبلُ أبي قُبَيس،''' هو جبل مقدس لدى المسلمين، يقع شمال شرق [[المسجد الحرام]] في مدينة [[مكة المكرمة]]. وقد قاموا بنحته اليوم وتغيير شكله الأصلي والذي كان على شكل قبة. وقد روي أنه لما نزل [[الحجر الأسود]] من السماء تم إيداعه في هذا الجبل مدة من الزمن. كما أن [[النبي إبراهيم (ع)|إبراهيم (ع)]] صعد إلى قمته عندما دعا الناس لأداء مناسك [[حج|الحج]]. ومما كان قد بني على قمة هذا الجبل: [[مسجد إبراهيم]] و<nowiki/>[[مسجد شق القمر]] وخان الملا محمد اليزيدي.
'''شاذَرْوان''' برآمدگی شیب‌دار کوتاهی است که در قسمت پایین دیوار [[کعبه]]، به جز ضلع [[حجر اسماعیل|حِجْر اسماعیل]] و پایین [[باب الکعبه|درِ کعبه]]، وجود دارد. شاذروان را بخشی از کعبهٔ ساخته شده به‌دست [[حضرت ابراهیم(ع)|ابراهیم(ع)]] دانسته‌اند، که [[قریش]] هنگام [[بازسازی کعبه|تجدید بنای کعبه]]، از آن کاست. فقیهان [[شیعه]] و برخی فقیهان [[اهل‌سنت]]، [[طواف]] روی آن را باطل شمرده‌اند؛ با این استدلال که طواف باید پیرامون کعبه باشد نه [[درون کعبه]].  


==التضاريس==
علی اکبر دهخدا، اصل واژه شاذروان را فارسی می‌داند و به معنای پرده بزرگی است که جلوی درِ خانه و ایوان ملوک و سلاطین می‌کشند.
يقع جبل أبي قبيس في الشمال الشرقي من [[المسجد الحرام]] مشرفاً عليه،<ref>معجم البلدان، ج1، ص80؛ مراصد الإطلاع، ج3، ص1066.</ref> حيث يبدأ من هنا [[شعب أبي طالب]]. ويبلغ ارتفاعه 420 متراً عن سطح البحر ، و120 مترًا من سفح الجبل.<ref>تاريخ وآثار إسلامي مكة، ص95.</ref> وبحسب [[ناصر خسرو]]، فإن الجبل كان يشبه شكل القبة؛<ref>سفرنامة ناصر خسرو، ص119.</ref> وفي السنوات الأخيرة، تم تسوية جزء كبير منه بالأرض، وتم بناء قصر حكومي ودارٍ للضيافة عليه.<ref>سرزمين يادها ونشانةها، ص89.</ref>


==أسماؤه==
شاذروان بارها در طول تاریخ بازسازی یا تعویض شد. پوشیده شدن با گچ و مرمر در اواخر قرن سوم قمری و تبدیل آن به سطحی شیب‌دار در دهه اول از سال ۶۷۰قمری، از تغییرات مهم آن است. امروزه شاذروان با سنگ‌های مرمر سفید پوشیده شده و ۵۷ حلقه از جنس طلا برای نگه داشتن [[پرده کعبه]] در آن تعبیه شده است. همچنین هشت قطعه سنگ مرمر گرانبها روی شاذروان، سمت راست درِ کعبه قرار دارد که مربوط به سنگ‌های مطاف در سال ۶۳۱ قمری است.
اشتُقّ اسم هذا الجبل من اسم شخص من [[قبيلة مذحج|قبيلة مَذْحِج]]<ref>الجبال والأمكنة، ص27.</ref> أو إِياد<ref>[https://wikihaj.com/index.php?title=%D9%BE%D8%B1%D9%88%D9%86%D8%AF%D9%87%3A%D8%A7%D8%AE%D8%A8%D8%A7%D8%B1_%D9%85%DA%A9%D9%87_%D8%A7%D8%B2%D8%B1%D9%82%DB%8C_%D8%B1%D8%B4%D8%AF%DB%8C_%D8%B5%D8%A7%D9%84%D8%AD_%D8%AC2.pdf&page=267 أخبار مكة، الأزرقي، ج2، ص267.]</ref>، والذي كان أول من بنى منزلاً على سفحه،<ref>[https://wikihaj.com/index.php?title=%D9%BE%D8%B1%D9%88%D9%86%D8%AF%D9%87%3A%D8%A7%D8%AE%D8%A8%D8%A7%D8%B1_%D9%85%DA%A9%D9%87_%D8%A7%D8%B2%D8%B1%D9%82%DB%8C_%D8%B1%D8%B4%D8%AF%DB%8C_%D8%B5%D8%A7%D9%84%D8%AD_%D8%AC2.pdf&page=265 اخبار مکه، ازرقی، ج2، ص265، 267؛] معجم البلدان، ج1، ص80؛ الجبال والأمكنة، ص27.</ref> وكما ذكر البعض، فإن أبا قبيس بن شالح من [[قبيلة جرهم]]، هرب إلى هذا الجبل بسبب خلاف مع أقاربه وانقطع خبره، فاشتهر الجبل باسمه.<ref>الروض الأنف، ج3، ص90.</ref> وقال البعض أيضاً أن كلمة أبي قبيس تصغير لـ"قبس النار"، لأن [[آدم (ع)]] اقتبس من هذا الجبل ناراً.<ref>شفاء الغرام، ج1، ص50.</ref> كما أُطلقت أسماء أخرى عليه من قبيل "أبو قابوس" و"شيخ الجبال".<ref>شفاء الغرام، ج1، ص50.</ref>


==المكانة التاريخية والدينية==
== معرفی اجمالی ==
أبو قبيس جبل مقدس، وقد كان محلّ احترام قبل [[الإسلام]] وبعده، كما يقترن ذكره في الروايات الإسلامية بالأنبياء ضمن بعض الوقائع التاريخية. ويعتبر أيضاً مكاناً لاستجابة الدعاء.<ref>شفاء الغرام، ج1، ص524.</ref> وقد وصفت بعض الروايات أبا قبيس بأنه أول<ref>[https://wikihaj.com/index.php?title=%D9%BE%D8%B1%D9%88%D9%86%D8%AF%D9%87%3A%D8%A7%D8%AE%D8%A8%D8%A7%D8%B1_%D9%85%DA%A9%D9%87_%D8%A7%D8%B2%D8%B1%D9%82%DB%8C_%D8%B1%D8%B4%D8%AF%DB%8C_%D8%B5%D8%A7%D9%84%D8%AD_%D8%AC1.pdf&page=32 أخبار مكة، الأزرقي، ج1، ص32.]</ref> وأفضل<ref>شفاء الغرام، ج1، ص525.</ref> جبل على وجه الأرض.
شاذروان، برآمدگی شیب‌دار کوتاهی است که در قسمت پایین دیوار [[کعبه]]، به جز ضلع [[حجر اسماعیل|حِجْر اسماعیل]] و پایین [[باب الکعبه|درِ کعبه]]، وجود دارد.  


==== الأنبياء السابقون ====
دهخدا اصل واژه شاذروان را فارسی می‌داند و به معنای پرده بزرگی است که جلوی درِ خانه و ایوان ملوک و سلاطین می‌کشند.<ref>لغت‌نامه دهخدا، ذیل واژه شاذروان.</ref> برخی معتقدند به آن شاذروان گفته‌اند، چون [[پرده کعبه]] به حلقه‌هایی که در آن قرار دارد متصل می‌شود (چادربان).<ref>موسوعه [https://wikihaj.com/index.php?title=پرونده%3Aمرآة_الحرمین_ج۱-۲.pdf&page=67 مرآت الحرمین، ص۶۷.]</ref> به شاذروان «تأزیر» نیز گفته شده؛ چراکه برای کعبه مانند اِزار است.<ref>[https://wikihaj.com/index.php?title=پرونده:تاریخ_القویم_ج۳.pdf&page=288 التاریخ القویم لمکة و بیت الله الکریم، ج3، ص 288]</ref>
قيل أن قبور [[آدم (ع)|آدم]] وابنه [[شيث]] وزوجته [[حواء]] تقع في هذا الجبل في "[[مغارة كنز]]".<ref>شفاء الغرام، ج1، ص519-520.</ref> ويقال أنه لما نزل [[الحجر الأسود]] من السماء أودع في هذا الجبل، ثم استخدمه [[النبي إبراهيم (ع)]] عند بناء [[الكعبة]].<ref>تاريخ اليعقوبي، ج1، ص26-27.</ref> وعند حصول [[طوفان نوح]] كذلك، أودع الحجر الأسود في هذا الجبل، لذلك كان يسمّى هذا الجبل في [[زمن الجاهلية|الجاهلية]] بالأمين.<ref>[https://wikihaj.com/index.php?title=%D9%BE%D8%B1%D9%88%D9%86%D8%AF%D9%87:%D8%A7%D8%AE%D8%A8%D8%A7%D8%B1_%D9%85%DA%A9%D9%87_%D8%A7%D8%B2%D8%B1%D9%82%DB%8C_%D8%B1%D8%B4%D8%AF%DB%8C_%D8%B5%D8%A7%D9%84%D8%AD_%D8%AC2.pdf&page=266 أخبار مكة، الأزرقي، ج2، ص266؛] معجم البلدان، ج1، ص80.</ref> وقيل إن أبا قبيس هو أحد الجبال الستة التي جُلبت منها حجارة الكعبة.<ref>شفاء الغرام، ج1، ص179.</ref> وكان إبراهيم (ع) يقف على قمته ويدعو الناس لأداء [[مناسك الحج]].<ref>السير والمغازي، ج2، ص72؛ [https://wikihaj.com/index.php?title=%D9%BE%D8%B1%D9%88%D9%86%D8%AF%D9%87%3A%D8%A7%D8%AE%D8%A8%D8%A7%D8%B1_%D9%85%DA%A9%D9%87_%D8%A7%D8%B2%D8%B1%D9%82%DB%8C_%D8%B1%D8%B4%D8%AF%DB%8C_%D8%B5%D8%A7%D9%84%D8%AD_%D8%AC2.pdf&page=203 أخبار مكة، الأزرقي، ج2، ص203؛] بحار الأنوار، ج12، ص91.</ref>


==== نبي الإسلام ====
در پایین ضلع [[حجر اسماعیل]]، شاذروان قرار ندارد و همچنین در پایین [[باب الکعبه|درِ کعبه]]، شاذروان قرار داده نشده و به جای آن، پله‌ای صاف به طول ۳۴۵ سانتیمتر ساخته شده است.<ref name=":0" />
جاء في الرواية أن [[النبي محمد (ص)]] قد شق القمر إلى نصفين في إحدى سنوات ما قبل [[الهجرة]]؛ وكان نصفه على [[جبل قعيقعان]] والنصف الآخر كان على جبل أبي قبيس.<ref>السيرة النبوية، ج2، ص116-117.</ref>
== پیشینه  ==
شاذروان را بخشی از کعبهٔ ساخته شده به‌دست [[حضرت ابراهیم(ع)|ابراهیم(ع)]] دانسته‌اند، که [[قریش]] هنگام [[بازسازی کعبه|تجدید بنای کعبه]]، از آن کاست.<ref>[https://wikihaj.com/index.php?title=پرونده:مرآة_الحرمین_ابراهیم_رفعت_پاشا_ج1.pdf&page=263 مرآة الحرمین، ج1، ص 263]</ref> قریشیان مساحت کعبه را از چهار طرف کاهش دادند؛<ref name=":11">«مفرحة الانام فی تأسیس بیت‌اللّه الحرام»، ص۲۴.</ref> البته ضلع [[حجر اسماعیل]] را بیش از دیگر ضلع‌ها کاهش دادند. پیش از آن، این ضلع از کعبه، تا نیمی از حجر اسماعیل ادامه داشت.<ref name=":0">[https://wikihaj.com/index.php?title=پرونده:تاریخ_القویم_ج۳.pdf&page=289 التاریخ القویم لمکة و بیت الله الکریم، ج3، ص 289.]</ref> به همین دلیل، ضلع حجر اسماعیل شاذروان ندارد؛<ref name=":0" /> 


وكان المكيون يخاطَبون أحياناً من أعلى هذا الجبل ليتم إخبارهم بشيء، بسبب إشراف هذا الجبل على [[المسجد الحرام]]. وقد تحدثت الأخبار عن رجل زبيدي أدى صياحه على قمة جبل أبي قبيس إلى [[حلف الفضول]]،<ref>المنمق، ص52؛ التنبيه والإشراف، ص179؛ البداية والنهاية، ج2، ص291.</ref> وكذلك دعوة النبي (ص) علناً ل<nowiki/>[[قريش]] لدخول [[الإسلام]].<ref>امتاع الأسماع، ج3، ص219؛ سبل الهدی، ج2، ص343.</ref>
شاذروان با کیفیت کنونی آن، ساخته [[عبدالله بن زبیر]] در سال ۶۴ق. دانسته شده است.<ref name=":2" /> گفته‌اند عبدالله بن زبیر، برای حفظ دیوار کعبه از نفوذ آب و نیز جلوگیری از تماس بدن [[طواف|طواف‌کنندگان]] با پرده کعبه، شاذروان را ایجاد کرد، تا به هنگام شلوغی، بدن آنان آسیب نبیند و پرده نیز از بین نرود.<ref>معرفی اماکن مکه مکرمه، ۱۳۹۱ش، ص۴۷.</ref>نظرات دیگری درباره نخستین زمان ساخت شاذروان وجود دارد.<ref name=":2">[https://wikihaj.com/index.php?title=پرونده%3Aتاریخ_القویم_ج۳.pdf&page=295 التاریخ القویم لمکة و بیت الله الکریم، ج3، ص۲۹۵.]</ref>  
==الأبنية على الجبل==
== بازسازی‌ها ==


==== مسجد إبراهيم ====
شاذروان بارها در طول تاریخ بازسازی یا تعویض شد. برخی از مهم‌ترین تغییرات به شرح زیر است:
{{اصلی|مسجد بلال}}


تم بناء [[مسجد إبراهيم]] على قمة هذا الجبل في القرون الإسلامية الأولى،<ref>أخبار مكة، الأزرقي، ج2، ص202.</ref> والذي اشتهر فيما بعد ب<nowiki/>[[مسجد بلال]].<ref>قاموس الحرمين، ص205.</ref> وينسب هذا المسجد إما لـ<nowiki/>[[النبي إبراهيم (ع)|إبراهيم الخليل (ع)]] أو لإبراهيم القبيسي<ref>[https://wikihaj.com/index.php?title=%D9%BE%D8%B1%D9%88%D9%86%D8%AF%D9%87:%D8%A7%D8%AE%D8%A8%D8%A7%D8%B1_%D9%85%DA%A9%D9%87_%D8%A7%D8%B2%D8%B1%D9%82%DB%8C_%D8%B1%D8%B4%D8%AF%DB%8C_%D8%B5%D8%A7%D9%84%D8%AD_%D8%AC2.pdf&page=202 أخبار مكة، الأزرقي، ج2، ص202.]</ref> أو إلى رجل أعمال هندي قام ببنائه عام 1275هـ.<ref>تحصيل المرام، ج1، ص502-503.</ref>
شاذروان در اواخر قرن سوم قمری، با گچ و مرمر پوشانده شد<ref name=":2" /> و در دهه اول از سال ۶۷۰ قمری، به صورت شیب‌دار درآمد.<ref name=":3">[https://wikihaj.com/index.php?title=پرونده:تاریخ_القویم_ج۳.pdf&page=295 التاریخ القویم لمکة و بیت الله الکریم، ج3، ص295]</ref> شاذروان پیش از آن، به‌صورت پله بود که گاهی مردم از روی آن [[طواف]] می‌کردند.<ref name=":3" /> سنگ‌های شاذروان در سال ۱۰۹۸ قمری. به دستور احمد پاشا، با سنگ چخماق جایگزین شد.<ref name=":3" /> در سال ۱۴۱۷ قمری در دوره ملک فهد، پنجمین پادشاه [[عربستان|عربستان سعودی]] نیز، سنگ‌های مرمر شاذروان تعویض شد.<ref name=":1">[https://wikihaj.com/index.php?title=پرونده:تاریخ_القویم_ج۳.pdf&page=296 التاریخ القویم لمکة و بیت الله الکریم، ج۳، ص۲۹۶.]</ref>


==== أبنية أخرى ====
از تعمیر بخش‌هایی از شاذروان یا تغییرات دیگر در آن در سال‌های 542،636، 661، 670، 838، 846 و 1040 نیز در منابع گزارش‌هایی وجود دارد.<ref name=":3" />[[پرونده:ضلع حجر اسماعیل از کعبه۲.jpg|300px|thumb|left|]]  
من المباني الأخرى الموجودة على قمة هذا الجبل، يمكن ذكر [[مسجد شق القمر]]، وخان الملا محمد اليزدي،<ref>موسوعة مكة المكرمة، ج1، ص551.</ref> ومئذنة تم بناؤها على يد عبد الله بن مالك الخزاعي في عهد [[هارون العباسي]].<ref>أخبار مكة، الفاكهي، ج3، ص87؛ موسوعة مكة المكرمة، ج1، ص551.</ref>


==الهوامش==
== هشت قطعه مرمر ==
[[پرونده:هشت قطعه مرمر روی شاذروان.jpeg|300px|thumb|left|]]
روی شاذروان سمت راست درِ کعبه، هشت قطعه سنگ مرمر کنار هم قرار دارد که رنگ آنها زرد متمایل به قرمزِ مات است و روی آنها نقش و نگارهایی حک شده است.<ref>[https://wikihaj.com/index.php?title=پرونده%3Aتاریخ_القویم_ج۳.pdf&page=17 التاریخ القویم لمکة و بیت الله الکریم، ج۳، ص۱۷.]</ref> سنگ آبی کبودی زیر هشت قطعه سنگ، در پایین شاذروان و عمود بر کف [[مطاف]] قرار دارد که روی آن نوشته شده است: «به نظر می‌رسد هنگام تجدید ساختمان مطاف، در سال ۶٣١ هجری، این سنگ‌ها در این محل قرار داده شده باشند.»<ref name=":4">[https://wikihaj.com/index.php?title=پرونده%3Aتاریخ_القویم_ج۳.pdf&page=17 التاریخ القویم لمکة و بیت الله الکریم، ج۳، ص۱۷.]</ref>
 
این قطعه سنگ‌ها از گرانبهاترین آثار اسلامی در [[مسجدالحرام]] شمرده شده است.<ref name=":4" /> هریک از هشت قطعه، مستطیل‌شکل بوده و بزرگترین آنها به طول ٣٣ و به عرض ٢١ سانتیمتر است. همگی آنها به صورت مربعی با ضلع ٧۴ سانتیمتر، کنار هم قرار گرفته‌اند.<ref name=":4" />
 
== حلقه‌های شاذروان ==
[[پرونده:ضلع حجر اسماعیل از کعبه.jpg|300px|thumb|left|]]
حلقه‌هایی در شاذروان تعبیه شده که [[پرده کعبه]] به وسیله آنها در جای خود ثابت شده تا حرکت باد آن را جابه‌جا نکند.<ref name=":8">[https://wikihaj.com/index.php?title=پرونده:تاریخ_القویم_ج۳.pdf&page=297 التاریخ القویم لمکة و بیت الله الکریم، ج3، ص297]</ref> این حلقه‌ها از جنس مس زرد<ref name=":8" /> و پس از آن، از نقره بود و در سال ۱۳۹۶ش با حلقه‌های طلا جایگزین شد.<ref>«[https://www.yjc.news/fa/news/6100071 نصب حلقه‌های طلا روی شاذروان کعبه]»، خبرگزاری باشگاه خبرنگاران جوان.</ref> تعداد حلقه‌ها در گذشته ۴۸ عدد بود،<ref name=":8" /> که به ۵۷ عدد افزایش یافت.<ref>[https://www.alwatan.com.sa/article/286823 «شاذروان کعبه و دیوار حطیم در ظاهری جدید»]، وبگاه الوطن.</ref>
 
== احکام ==
به فتوای فقیهان [[شیعه]]، طواف روی شاذروان صحیح نیست<ref>جامع الفتاوی، ۱۳۸۶ش، ص۱۱۶؛ همچنین نگاه کنید به جواهر، ج۱۹، ص۲۹۹، به نقل ازفرهنگ اعلام جغرافیایی-تاریخی در حدیث و سیره نبوی، ۱۳۸۳ش، ص۲۰۵.</ref> و اگر کسی به دلیل زیادی جمعیت یا غیرآن روی شاذروان طواف کند، باید آن مقدار که طواف کرده را دوباره انجام دهد.<ref>جامع الفتاوی، ۱۳۸۶ش، ص۱۱۶.</ref> دلیل باطل بودنِ طواف روی شاذروان، این دانسته شده که شاذروان بخشی از کعبه است و طواف باید پیرامون کعبه باشد، نه [[درون کعبه|درونِ کعبه]].<ref name=":9">معرفی اماکن مکه مکرمه، ۱۳۹۱ش، ص۴۶.</ref>
 
به نظر مراجع تقلید شیعه، دست به دیوار کعبه گذاشتن، در سه ضلعی که شاذروان قرار دارد جایز است و به طواف ضرری نمی‌زند؛ اگرچه احتیاط مستحب ترک آن است.<ref>جامع الفتاوی، ۱۳۸۶ش، ص۱۱۶.</ref>
 
مذاهب فقهی [[اهل‌سنت]] درباره حکم طواف روی شاذروان اختلاف‌نظر دارند. [[مذهب شافعی|شافعی]] و [[مذهب مالکی|مالکی]] طواف روی شاذروان را باطل دانسته‌اند. [[مذهب حنفیه]] نیز، شاذروان را جزو کعبه ندانسته است. در مقابل، [[مذهب حنبلیه|حنبلی‌ها]] طواف روی آن را باطل‌کننده طواف نمی‌دانند.<ref>شفاء الغرام باخبار البلد الحرام، ج2، ص 188</ref>
 
== نگارخانه ==
<gallery mode="packed" heights="150px">
اجزا و متعلقات کعبه.jpg|جایگاه شاذروان بین دیگر اجزا و متعلقات کعبه.
ضلع حجر اسماعیل از کعبه۲.jpg|ضلع [[حجر اسماعیل]]، که شاذروان ندارد و به جای آن سکویی قرار داده شده است.
ضلع حجر اسماعیل از کعبه.jpg|سکوی ضلع حجر اسماعیل و حلقه‌های طلایی که در سال ۱۳۹۶ش جایگزین حلقه‌های نقره شد.
کعبه، شاذروان و در کعبه.jpeg|زیر [[باب الکعبه|درِ کعبه]] شاذروان ندارد و به جای آن پله‌ای ساخته شده است.
هشت قطعه مرمر روی شاذروان.jpeg|هشت قطعه مرمر که روی شاذروان کنار درِ کعبه قرار دارد.
حلقه‌های شاذروان کعبه.jpg|بستن [[پرده کعبه]] به حلقه‌های تعبیه شده در شاذروان.
</gallery>
 
== پانویس ==
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==المصادر==
== منابع ==
* '''أخبار مكة''': الأزرقي (وفاة 248هـ)، بقلم رشدي الصالح، مكة، مكتبة الثقافة، 1415هـ.
{{منابع}}
* '''أخبار مكة''': الفاكهي (وفاة 279هـ)، بقلم عبد الملك، بيروت، دار الخضر، 1414هـ.
* «[https://www.makkahnews.sa/4902104.html '''الانتهاء من أعمال استبدال رخام الشاذروان الکعبة المشرفة وجدار الحطیم''']»، صحیفة مکة الالکترونیة، تاریخ درج مطلب: ۹ ژانویه ۲۰۱۶م، تاریخ بازدید: ۱۰ فروردین ۱۴۰۱ش.
* '''امتاع الأسماع''': المقريزي (وفاة 845هـ)، بقلم محمد عبد الحميد، بيروت، دار الكتب العلمية، 1420هـ.
* '''تاریخ و آثار اسلامی مکه مکرمه و مدینه منوره'''، قائدان، اصغر، تهران، مشعر، ۱۳۸۶ش.
* '''بحار الأنوار''': المجلسي (وفاة 1110هـ)، بيروت، دار إحياء التراث العربي، 1403هـ.
* '''جامع الفتاوی، موسوی شاهرودی'''، مرتضی، تهران، مشعر، ۱۳۸۶ش.
* '''البداية والنهاية''': ابن کثير (وفاة 774هـ)، بيروت، مكتبة المعارف.
* [https://www.alwatan.com.sa/article/286823 '''«شاذروان کعبه و دیوار حطیم در ظاهری جدید»''']، وبگاه الوطن، تاریخ درج مطلب: ٢٥ ربیع الاول ١٤٣٧ق/ ۱۶ دی ۱۳۹۴ش، تاریخ بازدید: ۱۶ اسفند ۱۴۰۲ش.
* '''تاريخ اليعقوبي''': أحمد بن يعقوب (وفاة 292هـ)، بيروت، دار صادر، 1415هـ.
* '''شفاء الغرام باخبار البلد الحرام'''، فاسی، محمد بن احمد، تحقیق علی عمر، قاهره، مکتبه الثقافه الدینیه،2008م.
* '''تاريخ وآثار إسلامي مكة مكرمة ومدینة منورة''': أصغر قائدان، طهران، مشعر، 1386ش.
* '''فرهنگ اعلام جغرافیایی-تاریخی در حدیث و سیره نبوی'''، شراب، محمد محمدحسن،ترجمه حمیدرضا شیخی، تحقیق محمدرضا نعمتی، تهران، مشعر، ۱۳۸۳ش.
* '''تحصيل المرام''': محمد بن أحمد (وفاة 1321هـ)، بقلم عبد الملك دهيش، مكة، 1424هـ.
* '''کعبه و مسجدالحرام در گذر تاریخ: گزیده التاریخ القویم لمکة و بیت‌الله الکریم'''، کردی، محمدطاهر، ترجمه هادی انصاری، تهران، مشعر، ۱۳۸۷ش.
* '''التنبيه والإشراف''': المسعودي (وفاة 345هـ)، بيروت، دار صعب.
* '''موسوعه مرآة الحرمین'''، ایوب صبری پاشا، ایوب، قاهره، دار الافاق العربیه، ۱۴۲۴ق.
* '''الجبال والأمكنة والمياه''': الزمخشري (وفاة 538هـ)، بقلم أحمد عبد التواب، القاهرة، دار الفضيلة، 1319هـ.
* '''مرآة الحرمین او الرحلات الحجازیة و الحج و مشاعرة الدینیه'''، رفعت پاشا، ابراهیم، مصر، دارالکتب المصریه، ١٣۴۴ق.
* '''الروض الأنف''': السهيلي (وفاة 581هـ)، بقلم عبد الرحمن، بيروت، دار إحياء التراث العربي، 1412هـ.
* '''معرفی اماکن مکه مکرمه'''، حمو، محمود محمد، ترجمه مرتضی حسینی فاضلی، تهران، مشعر، ۱۳۹۱ش.
* '''سبل الهدی''': محمد بن يوسف الصالحي (وفاة 942هـ)، بقلم عادل أحمد وعلي محمد، بيروت، دار الكتب العلمية، 1414هـ.
* «[https://www.yjc.news/fa/news/6100071 '''نصب حلقه‌های طلا روی شاذروان کعبه''']»، خبرگزاری باشگاه خبرنگاران جوان، تاریخ درج مطلب: ۳ خرداد ۱۳۹۶ش، تاریخ بازدید: ۱۰ فروردین ۱۴۰۱ش.
* '''سرزمين يادها ونشانةها''': محمد الفرقاني، طهران، مشعر، 1381ش.
* '''سفرنامة ناصر خسرو''': ناصر خسرو (وفاة 481هـ)، طهران، زوار، 1381ش.
* '''السير والمغازي''': ابن اسحاق (وفاة 151هـ)، بقلم محمد حميد الله، معهد الدراسات والأبحاث.
* '''السيرة النبوية''': ابن هشام (وفاة 8-213هـ)، بقلم السقاء وآخرون، بيروت، المكتبة العلمية.
* '''شفاء الغرام''': محمد الفاسي (وفاة 832هـ)، بقلم مصطفی محمد، مكة، النهضة الحديثة، 1999م.
* '''قاموس الحرمين''': محمد رضا النعيمي، قم، مشعر، 1418هـ.
* '''مراصد الإطلاع''': صفي الدين عبد المؤمن البغدادي (وفاة 739هـ)، بيروت، دار الجيل، 1412هـ.
* '''معجم البلدان''': ياقوت الحموي (وفاة 626هـ)، بيروت، دار صادر، 1995م.
* '''المنمق''': ابن حبيب (وفاة 245هـ)، بقلم أحمد فاروق، بيروت، عالم الکتاب، 1405هـ.
* '''موسوعة مكة المكرمة والمدينة المنورة''': أحمد زکي اليماني، مؤسسة الفرقان، 1429هـ.
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مراجعة ٢٠:٣٦، ٢٨ أبريل ٢٠٢٤

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قالب:جعبه اطلاعات بنای مذهبی شاذَرْوان برآمدگی شیب‌دار کوتاهی است که در قسمت پایین دیوار کعبه، به جز ضلع حِجْر اسماعیل و پایین درِ کعبه، وجود دارد. شاذروان را بخشی از کعبهٔ ساخته شده به‌دست ابراهیم(ع) دانسته‌اند، که قریش هنگام تجدید بنای کعبه، از آن کاست. فقیهان شیعه و برخی فقیهان اهل‌سنت، طواف روی آن را باطل شمرده‌اند؛ با این استدلال که طواف باید پیرامون کعبه باشد نه درون کعبه.

علی اکبر دهخدا، اصل واژه شاذروان را فارسی می‌داند و به معنای پرده بزرگی است که جلوی درِ خانه و ایوان ملوک و سلاطین می‌کشند.

شاذروان بارها در طول تاریخ بازسازی یا تعویض شد. پوشیده شدن با گچ و مرمر در اواخر قرن سوم قمری و تبدیل آن به سطحی شیب‌دار در دهه اول از سال ۶۷۰قمری، از تغییرات مهم آن است. امروزه شاذروان با سنگ‌های مرمر سفید پوشیده شده و ۵۷ حلقه از جنس طلا برای نگه داشتن پرده کعبه در آن تعبیه شده است. همچنین هشت قطعه سنگ مرمر گرانبها روی شاذروان، سمت راست درِ کعبه قرار دارد که مربوط به سنگ‌های مطاف در سال ۶۳۱ قمری است.

معرفی اجمالی

شاذروان، برآمدگی شیب‌دار کوتاهی است که در قسمت پایین دیوار کعبه، به جز ضلع حِجْر اسماعیل و پایین درِ کعبه، وجود دارد.

دهخدا اصل واژه شاذروان را فارسی می‌داند و به معنای پرده بزرگی است که جلوی درِ خانه و ایوان ملوک و سلاطین می‌کشند.[١] برخی معتقدند به آن شاذروان گفته‌اند، چون پرده کعبه به حلقه‌هایی که در آن قرار دارد متصل می‌شود (چادربان).[٢] به شاذروان «تأزیر» نیز گفته شده؛ چراکه برای کعبه مانند اِزار است.[٣]

در پایین ضلع حجر اسماعیل، شاذروان قرار ندارد و همچنین در پایین درِ کعبه، شاذروان قرار داده نشده و به جای آن، پله‌ای صاف به طول ۳۴۵ سانتیمتر ساخته شده است.[٤]

پیشینه

شاذروان را بخشی از کعبهٔ ساخته شده به‌دست ابراهیم(ع) دانسته‌اند، که قریش هنگام تجدید بنای کعبه، از آن کاست.[٥] قریشیان مساحت کعبه را از چهار طرف کاهش دادند؛[٦] البته ضلع حجر اسماعیل را بیش از دیگر ضلع‌ها کاهش دادند. پیش از آن، این ضلع از کعبه، تا نیمی از حجر اسماعیل ادامه داشت.[٤] به همین دلیل، ضلع حجر اسماعیل شاذروان ندارد؛[٤]

شاذروان با کیفیت کنونی آن، ساخته عبدالله بن زبیر در سال ۶۴ق. دانسته شده است.[٧] گفته‌اند عبدالله بن زبیر، برای حفظ دیوار کعبه از نفوذ آب و نیز جلوگیری از تماس بدن طواف‌کنندگان با پرده کعبه، شاذروان را ایجاد کرد، تا به هنگام شلوغی، بدن آنان آسیب نبیند و پرده نیز از بین نرود.[٨]نظرات دیگری درباره نخستین زمان ساخت شاذروان وجود دارد.[٧]

بازسازی‌ها

شاذروان بارها در طول تاریخ بازسازی یا تعویض شد. برخی از مهم‌ترین تغییرات به شرح زیر است:

شاذروان در اواخر قرن سوم قمری، با گچ و مرمر پوشانده شد[٧] و در دهه اول از سال ۶۷۰ قمری، به صورت شیب‌دار درآمد.[٩] شاذروان پیش از آن، به‌صورت پله بود که گاهی مردم از روی آن طواف می‌کردند.[٩] سنگ‌های شاذروان در سال ۱۰۹۸ قمری. به دستور احمد پاشا، با سنگ چخماق جایگزین شد.[٩] در سال ۱۴۱۷ قمری در دوره ملک فهد، پنجمین پادشاه عربستان سعودی نیز، سنگ‌های مرمر شاذروان تعویض شد.[١٠]

از تعمیر بخش‌هایی از شاذروان یا تغییرات دیگر در آن در سال‌های 542،636، 661، 670، 838، 846 و 1040 نیز در منابع گزارش‌هایی وجود دارد.[٩]300px|thumb|left|

هشت قطعه مرمر

300px|thumb|left| روی شاذروان سمت راست درِ کعبه، هشت قطعه سنگ مرمر کنار هم قرار دارد که رنگ آنها زرد متمایل به قرمزِ مات است و روی آنها نقش و نگارهایی حک شده است.[١١] سنگ آبی کبودی زیر هشت قطعه سنگ، در پایین شاذروان و عمود بر کف مطاف قرار دارد که روی آن نوشته شده است: «به نظر می‌رسد هنگام تجدید ساختمان مطاف، در سال ۶٣١ هجری، این سنگ‌ها در این محل قرار داده شده باشند.»[١٢]

این قطعه سنگ‌ها از گرانبهاترین آثار اسلامی در مسجدالحرام شمرده شده است.[١٢] هریک از هشت قطعه، مستطیل‌شکل بوده و بزرگترین آنها به طول ٣٣ و به عرض ٢١ سانتیمتر است. همگی آنها به صورت مربعی با ضلع ٧۴ سانتیمتر، کنار هم قرار گرفته‌اند.[١٢]

حلقه‌های شاذروان

300px|thumb|left| حلقه‌هایی در شاذروان تعبیه شده که پرده کعبه به وسیله آنها در جای خود ثابت شده تا حرکت باد آن را جابه‌جا نکند.[١٣] این حلقه‌ها از جنس مس زرد[١٣] و پس از آن، از نقره بود و در سال ۱۳۹۶ش با حلقه‌های طلا جایگزین شد.[١٤] تعداد حلقه‌ها در گذشته ۴۸ عدد بود،[١٣] که به ۵۷ عدد افزایش یافت.[١٥]

احکام

به فتوای فقیهان شیعه، طواف روی شاذروان صحیح نیست[١٦] و اگر کسی به دلیل زیادی جمعیت یا غیرآن روی شاذروان طواف کند، باید آن مقدار که طواف کرده را دوباره انجام دهد.[١٧] دلیل باطل بودنِ طواف روی شاذروان، این دانسته شده که شاذروان بخشی از کعبه است و طواف باید پیرامون کعبه باشد، نه درونِ کعبه.[١٨]

به نظر مراجع تقلید شیعه، دست به دیوار کعبه گذاشتن، در سه ضلعی که شاذروان قرار دارد جایز است و به طواف ضرری نمی‌زند؛ اگرچه احتیاط مستحب ترک آن است.[١٩]

مذاهب فقهی اهل‌سنت درباره حکم طواف روی شاذروان اختلاف‌نظر دارند. شافعی و مالکی طواف روی شاذروان را باطل دانسته‌اند. مذهب حنفیه نیز، شاذروان را جزو کعبه ندانسته است. در مقابل، حنبلی‌ها طواف روی آن را باطل‌کننده طواف نمی‌دانند.[٢٠]

نگارخانه

پانویس

  1. لغت‌نامه دهخدا، ذیل واژه شاذروان.
  2. موسوعه مرآت الحرمین، ص۶۷.
  3. التاریخ القویم لمکة و بیت الله الکریم، ج3، ص 288
  4. ٤٫٠ ٤٫١ ٤٫٢ التاریخ القویم لمکة و بیت الله الکریم، ج3، ص 289.
  5. مرآة الحرمین، ج1، ص 263
  6. «مفرحة الانام فی تأسیس بیت‌اللّه الحرام»، ص۲۴.
  7. ٧٫٠ ٧٫١ ٧٫٢ التاریخ القویم لمکة و بیت الله الکریم، ج3، ص۲۹۵.
  8. معرفی اماکن مکه مکرمه، ۱۳۹۱ش، ص۴۷.
  9. ٩٫٠ ٩٫١ ٩٫٢ ٩٫٣ التاریخ القویم لمکة و بیت الله الکریم، ج3، ص295
  10. التاریخ القویم لمکة و بیت الله الکریم، ج۳، ص۲۹۶.
  11. التاریخ القویم لمکة و بیت الله الکریم، ج۳، ص۱۷.
  12. ١٢٫٠ ١٢٫١ ١٢٫٢ التاریخ القویم لمکة و بیت الله الکریم، ج۳، ص۱۷.
  13. ١٣٫٠ ١٣٫١ ١٣٫٢ التاریخ القویم لمکة و بیت الله الکریم، ج3، ص297
  14. «نصب حلقه‌های طلا روی شاذروان کعبه»، خبرگزاری باشگاه خبرنگاران جوان.
  15. «شاذروان کعبه و دیوار حطیم در ظاهری جدید»، وبگاه الوطن.
  16. جامع الفتاوی، ۱۳۸۶ش، ص۱۱۶؛ همچنین نگاه کنید به جواهر، ج۱۹، ص۲۹۹، به نقل ازفرهنگ اعلام جغرافیایی-تاریخی در حدیث و سیره نبوی، ۱۳۸۳ش، ص۲۰۵.
  17. جامع الفتاوی، ۱۳۸۶ش، ص۱۱۶.
  18. معرفی اماکن مکه مکرمه، ۱۳۹۱ش، ص۴۶.
  19. جامع الفتاوی، ۱۳۸۶ش، ص۱۱۶.
  20. شفاء الغرام باخبار البلد الحرام، ج2، ص 188

منابع

قالب:منابع

  • «الانتهاء من أعمال استبدال رخام الشاذروان الکعبة المشرفة وجدار الحطیم»، صحیفة مکة الالکترونیة، تاریخ درج مطلب: ۹ ژانویه ۲۰۱۶م، تاریخ بازدید: ۱۰ فروردین ۱۴۰۱ش.
  • تاریخ و آثار اسلامی مکه مکرمه و مدینه منوره، قائدان، اصغر، تهران، مشعر، ۱۳۸۶ش.
  • جامع الفتاوی، موسوی شاهرودی، مرتضی، تهران، مشعر، ۱۳۸۶ش.
  • «شاذروان کعبه و دیوار حطیم در ظاهری جدید»، وبگاه الوطن، تاریخ درج مطلب: ٢٥ ربیع الاول ١٤٣٧ق/ ۱۶ دی ۱۳۹۴ش، تاریخ بازدید: ۱۶ اسفند ۱۴۰۲ش.
  • شفاء الغرام باخبار البلد الحرام، فاسی، محمد بن احمد، تحقیق علی عمر، قاهره، مکتبه الثقافه الدینیه،2008م.
  • فرهنگ اعلام جغرافیایی-تاریخی در حدیث و سیره نبوی، شراب، محمد محمدحسن،ترجمه حمیدرضا شیخی، تحقیق محمدرضا نعمتی، تهران، مشعر، ۱۳۸۳ش.
  • کعبه و مسجدالحرام در گذر تاریخ: گزیده التاریخ القویم لمکة و بیت‌الله الکریم، کردی، محمدطاهر، ترجمه هادی انصاری، تهران، مشعر، ۱۳۸۷ش.
  • موسوعه مرآة الحرمین، ایوب صبری پاشا، ایوب، قاهره، دار الافاق العربیه، ۱۴۲۴ق.
  • مرآة الحرمین او الرحلات الحجازیة و الحج و مشاعرة الدینیه، رفعت پاشا، ابراهیم، مصر، دارالکتب المصریه، ١٣۴۴ق.
  • معرفی اماکن مکه مکرمه، حمو، محمود محمد، ترجمه مرتضی حسینی فاضلی، تهران، مشعر، ۱۳۹۱ش.
  • «نصب حلقه‌های طلا روی شاذروان کعبه»، خبرگزاری باشگاه خبرنگاران جوان، تاریخ درج مطلب: ۳ خرداد ۱۳۹۶ش، تاریخ بازدید: ۱۰ فروردین ۱۴۰۱ش.